...

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vo main hu
दिन महीने साल जनम
आज लिखती ये मेरी कलम
गुजर जाएंगे यूं ही
पर जो सोने ना देगा
वो एक विचार मैं हूं

लोग मिलेंगे यूं ही
बातें भी होंगी यूं ही
लेकिन उन बातों में
वो दिल को चुभने वाली
एक तीखी बात मैं हूं

महफिलें होंगी यूं ही
लोगों के काफिले भी होंगे यूं ही
उन राहों में वो शख्स
जिसकी तलाश होगी वो
एक हमराह मैं हूं

यादें बनेंगी यूं ही
वक्त कटेगा यूं ही
दिखेगी सब मैं लेकिन
हाथ आयेगी सिर्फ परछाई वो
एक पल मैं हूं

बाहें मिलेंगी यूं ही
जिस्म की खूबसूरती भी होगी यूं ही
हाथ कइयों के थामना
लेकिन जो रूह ना मिलेगी वो
एक एहसास मैं हूं




© preeti choudhary