...

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वक़्त ने सीखा दिया।
उलझनों ने उलझा दिया ,
, वक़्त ने सब ठहरा दिया ।।
बहुत रोना था, व्यस्त होने का कभी ,
आज फुरसत इतनी की काम के लिए, तरसा दिया ।।

वक्त तेरा भी अंदाज निराला है,
सबको सबका सबक सीखा रहा।।
मरने से जो इतना डरता ,जीने के लिये लाख जतन है करता,,
उस मानव को यूँ ही तिनके की तरह उठा रहा ।।

वक़्त, वक़्त की बात है,
कभी पूरी दुनिया, को अपनी मुट्ठी में,
करने का दावा करने वाला ,यह मनुष्य प्राणी।।

आज निःशब्द ,भय से आशंकित,
बस जीने के लिये, तरस रहा।।

सीखा भी दिया, तूने बहुत,
जो सीख सका, उसने आफत को अवसर में ही बदल दिया।।
प्रकृति से दूर भागते, इस जीव को,
पुनः प्रकृति से परिचय करा दिया।।

© Rishav Bhatt