...

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ना मुझे याद करो...
ना मुझे याद करो,
ना ये फरियाद करो,
हाथों की लकीरों पर अब तो ऐतबार करो...
न साथ ये अब मुमकिन
ऐसी उम्मीद ना करो
ना मुझे याद करो,
ना ये फरियाद करो...


एक दिली अब कहाँ
क़ुरबत भी अब ख़ाक सी है
क़ातिल बने जब
अपनी मोहोब्बत के सनम,
बा दस्तूर अब
दर्द ए जुदाई सहो...
ना मुझे याद करो,
ना ये फरियाद करो...

वक़्त की तस्वीरों में
अब हम साथ नही,
माज़ी के दामन पर
अदावत के दाग़ ना दो,
आखरी ही सही
रंजिश की रसम निभा दो,
ना मुझे याद करो,
ना ये फरियाद करो...

मनीषा राजलवाल
© maniemo