ओढ़कर पिया के नाम की ओढ़नी
ओढ़कर पिया के नाम की ओढ़नी, गोरी चली है पिया के घर,
मालूम नहीं पिया के घर की डगर, पूछ रही पता इधर-उधर।
कानों में झुमके, माथे पर बिंदिया, हाथों में कंगन पहनकर,
चल पड़ी है वो पिया को ढूँढने देखो अनजान राहों पर।
जोगन बन गई है वो, छाया है इश्क़ का सुरूर ऐसा उस पर,...
मालूम नहीं पिया के घर की डगर, पूछ रही पता इधर-उधर।
कानों में झुमके, माथे पर बिंदिया, हाथों में कंगन पहनकर,
चल पड़ी है वो पिया को ढूँढने देखो अनजान राहों पर।
जोगन बन गई है वो, छाया है इश्क़ का सुरूर ऐसा उस पर,...