...

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जीवन भी कुवह अजीब सा होता है
जीवन भी कुछ, अजीब सा होता है

क़ोई महलो में, बेचैन सा जागा है,
तो क़ोई सड़को में, चैन से सोता है
जीवन भी कुछ, अजीब सा होता है

क़ोई समंदर में डूवा है
तो क़ोई बून्द के लिए रोता है
जीवन भी कुछ,अजीब सा होता है

जीवन में भगता हुआ हर इंसान
एक दिन अचानक ,जीवन को ही खोता है
जीवन भी कुछ, अजीब सा होता है

इंसांन धूल मिट्टी से , दूर भागता है
और फिर मिट्टी में हीं , मिल जाता है
जीवन भी कुछ,अजीब सा होता है

कभी तो लगता है की ,
ये सब ही, कुछ समझोता है
ये जीवन भी कुछ, अजीब सा होता है

इंसान ने गाड़िया बना दी, बड़ी बड़ी
लेकिन दुखो को , खुद ही ढोता है
ये जीवन भी कुछ, अजीब सा होता है

अपने जीवन से तंग इंसान,
फिर क्यू एक दिन पछताता है
ये जीवन भी कुछ, अजीब सा होता है

क़ोई महलो में, बेचैन सा जागा है,
तो क़ोई सड़को में, चैन से सोता है
जीवन भी कुछ, अजीब सा होता है
© kalpanik abhiyanta