...

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अनजान बने रहना
कभी बेहतर है जानने की चाह होते हुए भी अनजान बने रहना ।
कल्पनाएँ मिराज़ ही सही....उम्मीद जिन्दा रहती है के, जो सोचा वो बेहतर हो ख्वाहिश सा।
पल दो पल के "बेचैन सूंकू" का अह्सास चाहतो को मिला देता 'असल' से..मिराज ही सही कल्पनाओ का होना मुक्कमल कर देता है ख्वाहिशो की बेह्तरीन तस्वीर को।
कभी बेहतर है जानने की चाह होते हुए भी अनजान बने रहना ।
© Meenakshi