नयी नवेली दुल्हन ##
नयी नवेली दुल्हन बन मैं
जब इस घर में आई थी
अपनी आंखों में सुन्दर सा
एक सपना सा लायी थी
इक भरोसा इक नयी आशा
दिल में मैंने संजोया था
सपनों का इक सुन्दर जीवन
धागे में पिरोया था
पता नहीं किस दुनिया में थी
खोई खोई इतराई सी
नयी नवेली दुल्हन बन मैं
जब इस घर में आई थी
मैं अनजान खुद के नसीब से
सपना टूटा इक पल में
जैसे जीवन मेरा, बिखर गया कुछ ही पल में
मुझे नहीं मालूम था यह कि
लोभी मानुष होते हैं
इक दहेज के लिए ना जाने
कितनी बलि वो लेते हैं
चक्रव्यूह में फंसी हुई थी
घुटन मेरे पल पल में थी
यही सोच में डूब चुकी थी
क्यों इस घर में आई थी
नयी नवेली दुल्हन बन मैं
आज बहुत पछताई थी
जब लक्ष्मी सम इस भारत में
दुल्हन मानी जाती है
फिर क्यों बेटी इस भारत में
लोभी को दी जाती है
जब लक्ष्मी का रुप धरा तो
धन की क्या चिंता करनी
पति की किस्मत खुल जाएगी
पाकर के केवल पत्नी।।।
धन्यवाद
© Srishti chaturvedi