...

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थक सा रहा हूँ ए ज़िन्दगी
थक सा रहा हूँ ए ज़िन्दगी तेरे सवालों से
कम सा रहा हूँ हर रोज़ देते जवाबों से

क्यों हर बार नए सवाल करता है तू
क्यों बेवजह ही मुझे परेशां करता है तू

उम्र नहीं मेरी इतनी जो तुझे समझ सकूँ
हौसला इतनी नहीं जो तेरे आगे टिक सकूँ

एक मासूम सा हूँ तेरे तौर तरीके क्या जानू
एक मायुश सा हूँ तुझे जीने के सलीके क्या जानू

उम्मीदों से कई ज्यादा तूने दिए मुश्किलें है
हज़ार पत्थर है राहों में दूर कहीं मंजिले है

ए ज़िन्दगी तुझे सवाल पूछना नहीं आता
तू नादान सा लगता है तुझे लोग पहचाना नहीं आता

घूम ज़माने में मिलेंगे कई जो तेरा मुकाबला कर सके
मुझपर क्यों अड़ा है जो ठीक से दो कदम ना चल सके

तुझसे मिलूंगा एक दिन पहले तेरे जवाब दे दूँ
सवालात पूछूंगा तुमसे भी पहले ज़रा हिसाब दे लूँ
© Roshan Rajveer