...

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मेरे साथ बैठ कर
वैसे तो उसका जीवन, समर्पित है मुझे,
तन , मन, धन,जीवन, सब सौपा है मुझे,
मगर,फिर भी, कभी कभी लगता हैं ऐसा,
जैसे,"मेरे साथ बैठ कर" भी वो साथ नहीं.!1

घेरे हुए हैं उसे कुछ, अतीत की यादें,
या परेशान करते हैं, वो अधूरे से वादें,
यादों की गहरी खाई ,और वादों का ये पर्वत,
जैसे,"मेरे साथ बैठ कर"भी वो देखता नहीं.!2

परिवार की उसको, बड़ी है जिम्मेदारी,
जैसे बच्चो के भविष्य की चिंता है भारी,
न रुसवा हूं मैं, और न ही शिकायत है कोई,
जानती हूं क्यूं "मेरे साथ बैठ कर"भी साथ नहीं.!3

कदम आगे पीछे हो, भले तुम्हारे हमारे,
मगर, अब मंज़िल ,एक ही हो बीच हमारे,
हर मुश्किल दौर में, सदा साथ पाओगे मुझे,
चाहें "मेरे साथ बैठ कर" भी गुम रहो तुम कहीं.!4
लेखक_#shobhavyas
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