...

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अपमान...
मैं गुज़रा हूँ उन रास्तों से जहां कितनो की उम्मीदें दफन है।
बीच दरिया में खड़ा हूँ मेरे सर पर उम्मीदों का कफन है ।
रोशनी से बाहर निकला तो अंधेरों ने चलना सिखाया।
इन्सानो का बदलता चेहरा अंधेरे ने दिखाया।
ज़माना तुम्हारे साथ नही तुम्हारी रोशनी से जलता है।
अंधेरों में जाओगे तो खुद परछाई रंग बदलता है।...