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आगे बढ़े कि पिछड़ते चले गए
खो दिया है बचपन, खो गए वो पल
भूलती नहीं हैं यादें,नहीं भूलता कल
बड़े बड़े सपने छोटी-छोटी आंखों के
बड़े गहरे घाव है छोटी-छोटी चोटों के
दादा दादी - नाना नानी कैसे अपने थे
बचपन की यादें नहीं, हसीन सपने थे
बड़े हुए हम, जाने कितने बखेड़े हो गए
मासूम थे, जिम्मेदारियों के लफेड़े हो गए
दादा दादी नाना नानी सब हम खो गए
नए रिश्ते बनते गए पुराने जुदा हो गए
जुदाई के गम में पलते बड़े आ रहे हैं हम
कामयाब हों, हर जोखिम उठा रहे हैं हम
संयुक्त परिवार से था सबका प्यार मिला
मौसी बुआ चाचा ताऊ सबसे दुलार मिला
रिश्तो की समझ से बढ़कर संस्कार मिला
मातृभाषा की विरासत और व्यवहार मिला
बड़े क्या हुए हम, सब खोते ही जा रहे हैं
फ्लैटों की संस्कृति में फ्लैट हुए जा रहे हैं
सब अपने में मगरूर हैं अपनों से ही दूर हैं
अलग-अलग रहते हैं खुद को मॉडर्न कहते हैं
भाई भाई में प्यार नहीं,बसआपसी तकरार है
रिश्तेदारों से ज्यादा अब दोस्तों पर ऐतबार है
समय नहीं किसी को, किसी के घर जाने का
बचा सारा समय टीवी मोबाइल में खपाने का
बैठे आज सोच में, क्या-क्या खो गए हैं हम
कैसी फुर्सत थी, कितने बिजी हो गए हैं हम
कामयाबी की सीढ़ियां हम यू चढ़ते चले गए
कैसे कहें अब आगे बढ़े के पिछड़ते चले गए
© PJ Singh
#unbelievableLoss
#unbearableLoss
भूलती नहीं हैं यादें,नहीं भूलता कल
बड़े बड़े सपने छोटी-छोटी आंखों के
बड़े गहरे घाव है छोटी-छोटी चोटों के
दादा दादी - नाना नानी कैसे अपने थे
बचपन की यादें नहीं, हसीन सपने थे
बड़े हुए हम, जाने कितने बखेड़े हो गए
मासूम थे, जिम्मेदारियों के लफेड़े हो गए
दादा दादी नाना नानी सब हम खो गए
नए रिश्ते बनते गए पुराने जुदा हो गए
जुदाई के गम में पलते बड़े आ रहे हैं हम
कामयाब हों, हर जोखिम उठा रहे हैं हम
संयुक्त परिवार से था सबका प्यार मिला
मौसी बुआ चाचा ताऊ सबसे दुलार मिला
रिश्तो की समझ से बढ़कर संस्कार मिला
मातृभाषा की विरासत और व्यवहार मिला
बड़े क्या हुए हम, सब खोते ही जा रहे हैं
फ्लैटों की संस्कृति में फ्लैट हुए जा रहे हैं
सब अपने में मगरूर हैं अपनों से ही दूर हैं
अलग-अलग रहते हैं खुद को मॉडर्न कहते हैं
भाई भाई में प्यार नहीं,बसआपसी तकरार है
रिश्तेदारों से ज्यादा अब दोस्तों पर ऐतबार है
समय नहीं किसी को, किसी के घर जाने का
बचा सारा समय टीवी मोबाइल में खपाने का
बैठे आज सोच में, क्या-क्या खो गए हैं हम
कैसी फुर्सत थी, कितने बिजी हो गए हैं हम
कामयाबी की सीढ़ियां हम यू चढ़ते चले गए
कैसे कहें अब आगे बढ़े के पिछड़ते चले गए
© PJ Singh
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