...

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गुनाह...first kiss...
!!!hey!!!

तुझे याद है क्या वो पहली मुलाकात हमारी
वो धीमी बारिश , जनवरी की ठंड ,वो रात प्यारी...

लोग लिखते होंगे ..
सोच ,कल्पना ,एहसास वक्त लेकर
वो उस से अच्छी कविता तो बातो में करता है...

मैंने महसूस किया ...
मेरे साथ होता है सिर्फ लाइटर उसके हाथ होता है
बाकी दुनिया से वो वास्ता नही रखता है ...

मैंने कहा..
छोड़ क्यों नही देता ये
आदत मैं कैसे चूमुगी होठ ये सावले
कैंसर हो जाएगा इतनी मत पिया कर बावले...

कहता है ...
बहुत रास आती है मुझे cigg की वफादारी
आखिरी दम तक सुकून देती है खुद जल के बेचारी..

मैं सोच में पड़ जाती सुनके जवाब उसके
ज़माने से अलग ही है हिसाब किताब उसके...

तो मैने ऐसे ही पूछा .....
औरत और मर्द की परिभाषा क्या है नजर में आपकी
लाइटर साइड रख दीजिए वरना लूंगी खबर मैं आपकी

उसने कहा..
जो औरत की आत्मा का दर्द नही समझ सकता
वो कितना भी महान हो मैं उसे मर्द नही समझता

कुछ था नही मेरे पास कहने को
कुछ कहा नही गया
ये वो लम्हा था मुझसे रहा नही गया

रोक कर बीच में उसे बाहों में भर लिया
कपकपाते होठों को
उसके गरम होठों पे रख दिया
कुछ यूं एक गुनाह मैने भी कर लिया

missing you my love 😘 a lot..

और हा मैं भी कभी कभी
तुझे इस धुएं में डूंडने लगी हू
तेरे बराबर तो नहीं पर
तेरी वाली ब्रांड मैं भी फूंकने लगी हू

आना कभी उस गली के बाहर
जहा मेरा मकान है
एक चाय की टपरी है बगल में
उसके वो जो ऊंची दुकान है

waiting are the purest form
बोला था तुमने
वही इंतजार करती..
...तुम्हारी...

© ✍️Artist1999