...

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बस यूहीं कविता बन जाती है
जज़्बात दिल में भर जाते हैं
हाथ खुद से चल जाते हैं
कलम लिख कर थम जाती है
और बस यूँही कविता बन जाती है

जब जब कुछ अंजान सा दिखता है
या नज़र को भा कर ही रुकता है
तब तब ये नज़रें कुछ कह जाती हैं
और बस यूँही कविता बन जाती है

कभी सब अचानक ही हो जाता है ...