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बेजुबान इश्क़ ❤️
ये जो तुम शब्दो को टहलाते हो
क्या राज है जिसे तुम छिपाते हो
बोल दो न जो तुम कहना चाहते हो
क्यों किसी को इतना तड़पाते हो...
भँवरा बन फूलो पर जो मंडराते हो
रागिनी के राग सा सुर नया बनाते हो
रात की अलसाई सी भोर होती है जैसे
तुम भी ऐसे ही चक्कर लगाए जाते हो...
चमक तो पूनम की चांद सी है तुम्हारी
फिर क्यों ईद के चांद तुम बन जाते हो
कह दो न जो भी कहना है तुमको
क्यों खुद को इतना तुम सताते हो ...
क्या राज है जिसे तुम छिपाते हो
बोल दो न जो तुम कहना चाहते हो
क्यों किसी को इतना तड़पाते हो...
भँवरा बन फूलो पर जो मंडराते हो
रागिनी के राग सा सुर नया बनाते हो
रात की अलसाई सी भोर होती है जैसे
तुम भी ऐसे ही चक्कर लगाए जाते हो...
चमक तो पूनम की चांद सी है तुम्हारी
फिर क्यों ईद के चांद तुम बन जाते हो
कह दो न जो भी कहना है तुमको
क्यों खुद को इतना तुम सताते हो ...
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