...

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चांद
तू वो चाँद है...
जिसको मैं पाना नहीं चाहती,
जिसको बस दूर से सिर्फ प्यार
करना चाहती हूं..!!

लेकिन तुझे देखने का...
एक भी मौक़ा गवाना नहीं
चाहती..!!

तुम्हें दूर से चाहना,और चाहते
रहना मंजूर है मुझे,
मेरी इस इबादत पर गुरुर है
मुझे..!!

तुम्हें अपने लफ्ज़ों मैं छुपाकर रखूं में,
अपनी शायरी मैं बसा कर रखूंगी,

चाँद सा है तू,
तेरी चाँदनी नही,
मैं ख़ुद को जमी बना कर रखूंगी..!!
jaan ❤️

!! Nishu !!