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ग़लतफ़हमी ✍🏻✍🏻✍🏻
ग़लतफ़हमी ✍🏻✍🏻✍🏻

कीमत चुकाई अपनी खुशियों की मुस्कराहट को अलविदा कह आगे बढ़ चले !

जिन पगडंडियों पर गिरे उठे पले बढे उन रास्तों से पतझड़ सा ढले !

ज्यादा सोचना न तो सुकून देता हैं न ज्यादा सोचना अब जरुरी लगता हैं !

खामोशियाँ कुछ इस कदर पैठ चुकी हैं की मुस्कुराना जी हुजूरी लगता है

मन में झाँक कर देख न पाने की इंसानी नाकाबिलियत ने झकझोर कर रख दिया !

पेड़ो में हरियाली और बागों में फूल देने वाली बारिश के सैलाब ने तोड़ कर रख दिया !

अबतो ये तंग और अंधेरे रास्ते उजालों से कही ज्यादा महफूज नजर आते हैं !

रहमत है इन अंधेरो की जो गाहे बगाहे निकलते आंसू चुपचाप अनदेखे हो झर जाते हैं !

झूठ का क्या है हर दिल में पाँव पसार कर मासूमियत का समंदर बन जाता है

सच लाख कोशिश करे खुदको सँभालने की झूठ के समंदर में टाइटेनिक सा बिखर जाता है

पसंदीदा मिठाई के बाजार में शुगर का मरीज बनकर घूमना पड़ता है

अजब बीमारी है ये ग़लतफ़हमी भी गलत न होकर भी गलत का पाँव चूमना पड़ता है !
© VIKSMARTY _VIKAS✍🏻✍🏻✍🏻