...

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यादगार
यादगार..
निकल जाते माज़ी की यादों से मगर
वही हादसा बार बार होता रहा

भूल जाते उस अजनबी को पर
उससे सामना लगातार होता रहा

फ़ुरसत में भी फ़ुरसत मिली अगर
वही अजनबी हवासों पर सवार रहा

चाहा जो अँधेरे मिटा रौशन करें डगर
हर कदम पे उसका नूर यादगार रहा
NOOR EY ISHAL
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