...

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एक छांव
अवसाद भरी ये जिंदगी
बिल्कुल उसी गरमी
के जैसी हो गई है
जो बारिश के बाद
उमस से भर देती है
ना चैन आता दिन में
ना ही रात की नीदों में
बादलों की तरह बस
इधर उधर भटकते
अपने पल यूं ही काटा करते
कभी पेड़ की छांव में
तो कभी घर की चारदीवारी में।
© anu singh