अब्दुल कलाम
अब्दुल कलाम
न जाने क्यों कुछ हीरे ही मिलते हैं,
कोयले की खदानों में!
जो परिपाटी को तोड़ते हैं,
लाते है बदलाव जमाने में!
ऐसे ही शख्सियत के धनी थे और हैं,
क्योंकि वे राज करते आज भी हर दिल में!
उनके पुरूषार्थ से सब अचंभित है,
खिलें थे कभी कमल की तरह कीचड में!
देश को मिसाइल की सौगात...
न जाने क्यों कुछ हीरे ही मिलते हैं,
कोयले की खदानों में!
जो परिपाटी को तोड़ते हैं,
लाते है बदलाव जमाने में!
ऐसे ही शख्सियत के धनी थे और हैं,
क्योंकि वे राज करते आज भी हर दिल में!
उनके पुरूषार्थ से सब अचंभित है,
खिलें थे कभी कमल की तरह कीचड में!
देश को मिसाइल की सौगात...