मेरी गलती ...
मेरी हां मेरी ही
गलती है जो मै विष
के वास में विश्वास
तलाशती रही .......
जानती थी कच्चे
धागे की तरह टूट चुके हैं रिश्ते
फिर भी उन्हें
अपने प्रेम, समर्पण और , त्याग
से सीचती रही ......
हां मेरी ही गलती है ये
की मै तुम्हारे गुस्से में
तुम्हारा प्यार ढूढती रही
मुझे खुद से माफ़ी मांगनी
चाहिए शायद , मै खुद को
जानबूझ कर...