...

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अदृश्य शक्ति
जब तूफां ने तुझको घेरा हो
नहीं कहीं कोई किनारा हो
जब चारों ओर अंधेरा हो
नहीं कहीं कोई सवेरा हो
जब ढाल भी शमशीर बने
जब मौत गले का हार बने
तो प्रार्थना कर प्रार्थना कर प्रार्थना कर
जब जीवन सूरज सा तपता हो
नहीं कहीं कोई बूंद बरसती हो
जब जीवन ये पहाड़ बने
नहीं कहीं कोई निर्झर न झरता हो
जब कोई जुगनू तक न चमकता हो
और भय से दम निकलता हो
तो प्रार्थना कर प्रार्थना कर प्रार्थना कर क्योंकि
कोई अदृश्य शक्ति है जो इस
सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का संचालन करती है