/ग़ज़ल : ग़लत बात है कि मोहब्बत नहीं है/ बह्र : १२२/१२२/१२२/१२२
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असल में किसी से मुहब्बत नहीं है
उन्हें दिल लगाने की आदत नहीं है
अभी तो मिले हो अभी जा रहे हो
घड़ी वस्ल की है ये हिजरत नहीं है
ये कहते हुए मैं मुसलसल मरा था
मुझे अपनी चाहत से उल्फ़त नहीं है
उसे यार मत रोक करने दे मन की
वो दीवानगी है वो वहशत नहीं है
बहुत कुछ है खाने को परदेस में पर
मगर बाटी चोखे सी लज़्ज़त नहीं है
वो बाप आज तक था यही कहता आया
कि बेटे से बढ़कर ये दौलत नहीं है
उसी बाप से आज बोला वो बेटा
मुझे अब तुम्हारी ज़रूरत नहीं है
है सरकार जिनकी वो सच कह रहे हैं
जो हम कह रहे हैं, हक़ीक़त नहीं है
जो हम ठान लें काम सारे बनेंगे
कि हमसे बड़ी ये हुकूमत नहीं है
जियूं 'शम्स' जबतक वतन का रहूं मैं
वतन से बड़ी कोई जन्नत नहीं है
हिजरत : विरह
लज़्ज़त : आनंद
वहशत : पागलपन
उल्फ़त : प्यार
#ग़ज़ल #शायरी #Writcoquote #poetry
© 'शम्स'
असल में किसी से मुहब्बत नहीं है
उन्हें दिल लगाने की आदत नहीं है
अभी तो मिले हो अभी जा रहे हो
घड़ी वस्ल की है ये हिजरत नहीं है
ये कहते हुए मैं मुसलसल मरा था
मुझे अपनी चाहत से उल्फ़त नहीं है
उसे यार मत रोक करने दे मन की
वो दीवानगी है वो वहशत नहीं है
बहुत कुछ है खाने को परदेस में पर
मगर बाटी चोखे सी लज़्ज़त नहीं है
वो बाप आज तक था यही कहता आया
कि बेटे से बढ़कर ये दौलत नहीं है
उसी बाप से आज बोला वो बेटा
मुझे अब तुम्हारी ज़रूरत नहीं है
है सरकार जिनकी वो सच कह रहे हैं
जो हम कह रहे हैं, हक़ीक़त नहीं है
जो हम ठान लें काम सारे बनेंगे
कि हमसे बड़ी ये हुकूमत नहीं है
जियूं 'शम्स' जबतक वतन का रहूं मैं
वतन से बड़ी कोई जन्नत नहीं है
हिजरत : विरह
लज़्ज़त : आनंद
वहशत : पागलपन
उल्फ़त : प्यार
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© 'शम्स'