...

5 views

औरत
हर रोज़ ही है ये उनका दिन,
ये कायनात उन से मुमकिन.

हर रोज़ हैं दिखते उनके रंग,
कभी फ़ौलाद, कभी कमसिन.

पानी से ज़्यादा ज़रूरी हैं वो,
ज़िंदगी ही ना होगी उनके बिन.

दुनिया का सामना करती हैं,
बाहर से सख़्त, नरम बातिन.

पर रूप दिखाएं कितने ही वो,
हैं अंदर से औरत हर पलछिन.
© अंकित प्रियदर्शी 'ज़र्फ़'

फ़ौलाद - लोहा (steel)
कमसिन - बच्चे जैसा (childish)
बातिन - अंतरात्मा (inner consciousness)
पलछिन - लम्हा, क्षण (every minute)
अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर सभी महिलाओं को, उनके हर रूप, हर जज़्बे को, सलाम.....
#Women #womensday #inspirational #Shayari #Hindi #urdupoetry #Love&love #Heart

Related Stories