...

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मम्मी पापा आप ना होते तो क्या होता
ना पसंद आते ये फूलो के बगीचे,

ना पसंद आता महलो सा आराम,

धरती, अम्बर, चाँद, सितारे,

इतना सुंदर हमारे लिए ना ये ज़मा होता,

मम्मी पापा आप ना होते तो क्या होता।


कपड़े पहने है इतने अच्छे,

रहनेको घर मिला है इतना अच्छा,

हाथो में ना होती ये घड़ी,

पेरो में ना होते इतने अच्छे झूठे,

जो मांगा वो ना झटसे मिला होता,

मम्मी पापा आप ना होते तो क्या होता।


किसी से बात करना ना आता हमें,

कहीं बाहर रह पाना ना आता हमें,

सुनी सी लगती ये दुनिया,

अकेला पन कभी ना हमसे जुदा होता,

मम्मी पापा आप ना होते तो क्या होता।


सबके लिए सोचना सिखाया है,

गीता का माँग हमें दिखाया है,

पोलाइटनेस, मैनर्स, एटिकेट्स,

18 सालो में मैं ना कुछ सिखा होता,

मम्मी पापा आप ना होते तो क्या होता।


हिम्मत मिली है बचपन से,

ताकात मिलि है बचपन से,

ना होता हौसला हम मे, ना करना आता कोई फेसला हमें,

ना इतना शान से मैं यहाँ खड़ा होता,

मम्मी पापा आप ना होते तो क्या होता।


पढ़ना, लिखना, बोलना सिखा है आपसे,

हंसना, खिलना, सबसे घुलना सिखा है आपसे,

ना होती समझदार, ना होता इतना ज्ञान,

जिसके बिना ना मैंने ये लिखा होता,

मम्मी पापा आप ना होते तो क्या होता।

मम्मी पापा आप ना होते तो सच्ची पता नहीं क्या होता!!...


~ jha umang