ग़ज़ल
गजल लिखने की ज़िद,मैंने गजल लिख दिया,
देख औंस की बूंद जमी पर, मैंने सजल लिख दिया।
जब भी बात हुई ,जैसे रिमझिम बरसात हुई,
खोल यादों की तश्तरी ,मैंने उसको अजल लिख दिया।
हर बार मिली एक अदा ,एक नए ख्याल के साथ,
लिखने की बारी आई, उसे उनका का फजल लिख...
देख औंस की बूंद जमी पर, मैंने सजल लिख दिया।
जब भी बात हुई ,जैसे रिमझिम बरसात हुई,
खोल यादों की तश्तरी ,मैंने उसको अजल लिख दिया।
हर बार मिली एक अदा ,एक नए ख्याल के साथ,
लिखने की बारी आई, उसे उनका का फजल लिख...