...

2 views

गौरी पुत्र – गणेश
शिव शंकर का दुलारा,
देवी पार्वती का लाडला पुत्र प्यारा।

मिट्टी की मूरत को मिला प्राण,
विनायक रूप में आचार व्यवहार इत्यादि का मिला ज्ञान।

देवी की इच्छा से हुए प्रकट,
मातृ वचन के लिए हुए विकट।

शीष कटवाकर भी किया वचन पूर्ण,
देवी आई अपने नंदन का कृंदन सुन।

क्रोध में आकर देवी ने पुनः पुत्र की मांग की,
अन्यथा तीनों लोकों को भस्म करने की प्रतिज्ञा ली।

ब्रह्मा द्वारा गजानन का शिष लगवाकर,
सभी देवताओं द्वारा वरदान पाकर,

देवी का विक्राल रूप शांत कर,
विनायक पुनर्जीवित हुए गजाधिपति स्वरूप लेकर।
© pritz