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खुदा और मोहब्बत
मोहब्बत कोई खेल नहीं जनाब
जो तुम मेरे साथ खेलतीं हो
मोहब्बत तो खुदा द्वारा भेजा गया वरदान है
कभी इक़बाल करके तों देखो इसे दिल से
मेरी यही रज़ा थोड़ा मान लो
ख्याल करो हमारा भी
हमें दिल से अपना मान लो
खुदा के इस नवाजे कों
सच्ची मोहब्बत से सजा लो
ये इबादत न बन जाए तो कहना
फिर तुम मुझे अपना मत कहना
अगर मोहब्बत खुदा है
तो इस नाचीज कों खुदा से अलग मत करना
____पल्लवी.........