...

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हम तुम
हम तुम

" बिज़ी हो ? "
" हम्म ….बस कल की और बात है
उसके बाद हम तुम "

अगले दिन …..
"बोलो जी "
" यार आज तो बहुत पेंडिंग वर्क है
मैनेज करना बड़ा सिरदर्द है "
" कोई न आप निपटा लो "
" डियर कल से बहुत सा समय तुम्हारा "
" भूल रहे हो
कल क्लाइंट्स के साथ साइट पर जा रहे हो "
" ओह हाँ ….."

परसों …..
"फाइलों का ढेर और बढ़ गया
लगता है दिन ही छोटा पड़ गया "
" कोई न आप काम करो
और मैं इंतज़ार …..आपका "
" सॉरी बहुत इंतज़ार कराता हूँ
सच मानो तुमको बेहद चाहता हूँ
पर क्या करूँ मजबूर हूँ
ये न समझना के दूर हूँ "
" मैं आपके सब जज़्बात समझती हूँ
आखिर आपके दिल में रहती हूँ
लंच किया न ?
कैल्शियम लिया न ? "
" कितना खयाल रखती हो
लगता जैसे साथ रहती हो "

"जी ! मुझे तो ये भी पता कि पीठ अकड़ी है
और चश्मा पहने पहने कनपटी दुख रही है "
" अरे हाँ ….पर तुमने कैसे जाना ? "
" आपके मन में रहती हूँ न , इसलिए जाना "
" चलो आज का काम तो निपट गया
समझो ऑफ़िस से निकल गया...."
"जी सम्भल कर आना
अंधेरा है ड्राइव ध्यान से करना "
"ओके ….."

पूनम अग्रवाल




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