चांद दाग वाला
शीर्षक _ चाँद दाग वाला
देखा
चाँद को
कल मैंने,
धरती पर
सबसे मिलते,
पूछता बातें नयीं
खोजता उत्तर नयें,
ढूँढता समीकरणों को
व्यथित बहुत उन्मना सा,
हैरान हो दुनियादारी पर
उतरा था कल चांँद जमीं पर,
कुछ मिला या नहीं, कौन जाने?
दिल का दर्द कोई न जाने,
दाग एक साथ ले गया
ले गया दर्द पराया,
दाग सजाए हुए
आज निकलेगा
आसमां पर,
दाग वाला
सलोना
चाँद
_ सुषमा नैय्यर