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नारदजी का मुंबई भ्रमण
#युगसंवाद
© Nand Gopal Agnihotri
बैठे-बैठे एक दिन नारदजी ने किया विचार,
सतयुग द्वापर त्रेता देखा अब कैसा संसार।
चलें एक दिन कलियुग का भी हाल देख आते हैं।
कैसा है अब चाल-चलन क्या खाते पीते हैं।
रख वीणा करताल हाथ में थाम ली एक लकुटिया।
कलियुग का सा वेश बनाया छोटी करली चुटिया।
पहुंच गये मुंबई नगरिया मिल गया एक दलाल।
अचरज से मुनिवर ने देखा पूछा उसका हाल।
कहो कौन हो आप कहां से आए हो।
अचरज से क्यों देख रहे हो लगता है नये...