...

14 views

आया हैं
मुद्दतों बाद कोई मेरे लिए पैग़ाम आया हैं,
शायद मेरी वफाओं का ईनाम आया हैं,

बड़ी मेहनत करी हैं ख़ुद की बर्बादी
में,तब जाकर हिस्से ये मुकाम आया हैं,

कोई मुहारत हासिल नहीं मुझको फिर
भी सफ़लता का श्रेय मेरे नाम आया हैं,

सस्ते में बेच कर ईमान अपना बड़ा
महंगा वो बनके गुलाम आया हैं,

धोखा ना खाना भोली सूरत देखकर अब
राधा से मिलने ना कोई श्याम आया हैं,

यूं ही सदा मुस्कुराता रहा चाहे दर्द से
कभी दिल को ना आराम आया हैं,

बड़ा बहादुर हैं वो देखो ज़रा,बेबसी
में मेरी लेने अब इंतकाम आया हैं।
© taj