बेपरवाह
"ग़म" बस जर्रा नवाजी चाहता था हमसे
हम बेपरवाह,
वो भी उसे दे ना सके
इठलाते रहे, गुनगुनाते रहे
पता ही नहीं चला की
बहुत मुसीबत में हैं हम।
© वियोगी (the writer)
हम बेपरवाह,
वो भी उसे दे ना सके
इठलाते रहे, गुनगुनाते रहे
पता ही नहीं चला की
बहुत मुसीबत में हैं हम।
© वियोगी (the writer)