...

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बेपरवाह
"ग़म" बस जर्रा नवाजी चाहता था हमसे
हम बेपरवाह,
वो भी उसे दे ना सके
इठलाते रहे, गुनगुनाते रहे
पता ही नहीं चला की
बहुत मुसीबत में हैं हम।
© वियोगी (the writer)