एक बेनाम रिश्ता
एक रिश्ता... खामोश सा, बेनाम सा,
ना मंज़िल की चाह, ना बिछड़ने का ग़म.....
ना हासिल हुआ, ना खोने का डर,
फिर भी दिल के सबसे करीब है वो हमदम....
कोई ज़रूरत नहीं, पर...
ना मंज़िल की चाह, ना बिछड़ने का ग़म.....
ना हासिल हुआ, ना खोने का डर,
फिर भी दिल के सबसे करीब है वो हमदम....
कोई ज़रूरत नहीं, पर...