...

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#इंतज़ार
#इंतज़ार
बेकार किसी के लौट आने की आस में बैठे है
हम अपने जिस्म को लहाश बना कर बैठे हैं
आंसुओं से तालुकात नहीं हमारे
हम अपने दिल को बेवकूफ बना कर बैठे हैं।।

तेरे शहर की पक्की सड़कें छोड़ कर बैठे है
गुनाह अपने कच्चे रास्तों मे कबूल कर बैठे है
मकान बेशक हमारे रेतों पर खड़े है
होंसलो से हम दरखत तबाह करे बैठे है।।

हम मुसीबतों को अपना वक़्त बना बैठे है
हम किसी के ख्वाबों को चाहत बना बैठे है
उसकी औकात नहीं है हमें पाने की
हम शमशानो को आसियाना बना कर बैठे है।।
© Nitish Nagar