"चटकते दिल" की आवाज़
ऐ मेरे हमदम,
ऐ मेरे रूह-ए-मोहब्बत।
मेरे मुस्कराते अक्स और
मेरे नूर-ए-नक्श पर तू यूं ना जा,
रंजिश-ए-दिल है ये,
या मेरी बेइंतहा मोहब्बत,
कि अब तक बंद है मेरी जुबां।
पलभर में तुम दूर हो गए?
तुम्हें हाल-ए-दिल समझा पाता मैं काश!
हक़ीक़त-ए-मुलाक़ात तो शाय़द अब मुमकिन नहीं,
पर कम से कम ख्वाबों में तो होते तुम पास।
अब कैसा शिकवा तुमसे,
अब क्या करूं मैं शिक़ायते?
दफ़न हो गई हैं सारी...