...

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मौत - एक पहल आज की..
तबाही तो शुरू हुई है
खेल ये प्रकृति का है
झूठ पर तो खड़े हो
यही पहल है आज की

आखिर दिल जीता है?
खुद से सवाल किया है?
झूठ ही तो बोला है
यही पहल है आज की

मौत का डर क्यूं है?
खुद के लिए सोचा है
अब क्यूं झूठ बोलना है
यही पहल है आज की

झूठ का कारोबार किया है
समक्ष मौत क्यूं नही झुकना
आखिर किस लिए डरना है
यही पहल है ना आज की

ये मौत भी तुमने ही चुनी है
ये रंजिश भी इंसानी ही है
जहां सिर्फ मौत निशानी है
यही एक पहल आज की है।


#inceptivelines #linesbyadeet
@Inceptivelines
@inceptiveline


© अदीत