शीर्षक - ज़ंजीर को तोड़कर।
शीर्षक - ज़ंजीर को तोड़कर।
इन जंजीरों को तोड़कर।
ऊँचे स्वरों में तीव्र शोर कर।
निकल पड़े अपनी राह को,
सबकुछ बस पीछे छोड़कर।
एक नई उड़ान पर अपने।
आज़ादी नाम कर अपने।
मस्त मलंग सी हवा संग,
ख़्वाहिश बांधकर...
इन जंजीरों को तोड़कर।
ऊँचे स्वरों में तीव्र शोर कर।
निकल पड़े अपनी राह को,
सबकुछ बस पीछे छोड़कर।
एक नई उड़ान पर अपने।
आज़ादी नाम कर अपने।
मस्त मलंग सी हवा संग,
ख़्वाहिश बांधकर...