...

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बचपन की गलियां
बचपन की गलियों से
गुजरा हूं जब मैं
तो उसका हंसता चेहरा
याद आ गया
वक्त बदले लोग बदले
आज क्यों उसका चेहरा
बनकर कोई ख्वाब आ गया

कहां मिलती है वह हंसी
जिसमें कोई गम नहीं होता
वक्त के पीछे जाकर देखा मैंने
गालिब यह वक्त किसी का...