महिपत मोटो मानवी
मन मेलू महिपाल, मोटे दिल रो मानवी।
क्यों लेग्यो तूं काल, कांई विचारी केशवा।।
असुर वध्या अणमाप, सुरगै चिंतित सुर हुआ।
पिरथी छायो पाप,सलाह दो नारद...
क्यों लेग्यो तूं काल, कांई विचारी केशवा।।
असुर वध्या अणमाप, सुरगै चिंतित सुर हुआ।
पिरथी छायो पाप,सलाह दो नारद...