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ईद-उल-फित्र
मैंने औरतों और लड़कियों का एक अजब रंग देखा है,
मैंने औरतों और लड़कियों का एक अजब रंग देखा है।
मैंने ज़िन्दगी को ख़ुशरंग तो कभी मद्धम देखा है।।

बात है त्यौहार की,घर-परिवार की,
रीति - रिवाज और संस्कार की।
दशहरा, दीवाली,होली,बक़राईद,ईद,रमज़ान को मैंने संग देखा है।।

मैंने औरतों और लड़कियों का एक निराला ढ़ंग देखा है,
मैंने औरतों और लड़कियों का एक निराला ढ़ंग देखा है।
पढ़ाई, साफ़-सफ़ाई, रसोई और धुलाई में औरतों और लड़कियों को तंग देखा है।।

रीत में, गीत में, मीत में और प्रीत में मैंने उनको मलंग देखा है,
रीत में ,गीत में,मीत में और प्रीत में मैंने उनको...