...

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जिन्दगी और मैं
बात कोई भी नहीं,
लेकिन बात बहुत सारी है..
उसका दिन नहीं गुजरता,
मेरी रात बहुत भारी है।

सारी दुनिया को सोचकर,
जब वो पास मेरे आता है,
तकलीफ बहुत होती है,
और यही सिलसिला जारी है।

जिंदगी जिद्दी बहुत है,
जब मन करता है छोड़ दूं इसे,
तकलीफे और जकड़ लेती हैं,
जैसे मौत भी अभी कुंवारी है।

मैं हंसकर जी लूं आज,
हसरतें हर भोर में होती है,
पर उदित होते सूरज का सफ़र,
शाम की बस तैयारी है।

चलो सोच लेता हूं,
करवट लेगी जिंदगी इक दिन,
पर इस पुरानी होती चादर पर,
सिलवटों का दौर जारी है।...