...

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भाई.!
कैसे चले गए तुम इतनी दूर कि वापस ही न आए
क्या माँ-बाप भाई-बहन की ज़रा भी फ़िक़र न रही

सुनते हैं वक़्त देता है हर बात का जवाब मगर
अब मुझमें ही सवाल करने की ताक़त न रही

तुमसे पूछ पाती जो तुम्हारी परेशानियों का सबब
वक़्त-ए-जुदाई ऊपरवाले से इतनी मोहलत न रही

सच ही कहते हैं लोग कि कोई...