...

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तन्हाई
रिश्तों में इस्तेमाल होता हूँ पता है मुझे
हर बार बेहाल होता हूँ "क्यों"ऐज़िन्दगी बता मुझे
फर्क पड़ता नही किसीको मेरा अरमान टूटने से
रोशनी कहाँ रहती है घर का चिराग बुझने से
ज़िंदादिली नही है हर शक्श का मन मैला है
रिश्तों का क्या वज़ूद है बस हृदय सबका मैला है
अफसाना होता तो नज़राने की बात भी होती
कोई दूर कितना भी कभी कभी मुलाक़ात भी होती
कौन किसका है सब जगह बना व्यापार है
मत चलना ज़माने की राहों पर यह ज़माना बहुत बेकार है