...

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वक़्त
जिदंगी के बदलते वक्त में कोन किसके साथ था ,

जरा अपने दिल से पूछिए के आपके शिर पे किसका हाथ था ,

समझ नही आता दुख के पलों केसे भुलाया जाय ,

बस जिदंगी के हर वक्त में तेरे मेरे रिस्ते का साथ निभाया जाय ,

दुख भरे दर्द की टूटे दिल की एक ही कहानी थी ,

वो आशु हरपल के लिख रहे दर्द की कहानी थी ,

ये प्यार का रिश्ता साथ का रिश्ता ये है सारा जहाँ ,

क्या मेरा क्या तेरा हम दोनों का एक ही है सारा जहाँ ,

प्यार वो नही है जो तुने या मेने एक दूसरे को किया है ,

प्यार वो है जो जीवन के बदलते वक्त ने साथ साथ किया है ,

कैसे में भूल जाऊ दिल के वो हालात को जो संग रहे तेरे ,

दिल की गहराई के लम्हो को कैसे हर पल मिटा पाऊ ,

तेरे मेरे रिस्ते का अब एक ही अरमान और वक्त था ,

दिल और प्यार का गवाह अब ये सारा जमाना था ।


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