...

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रहने भी दो..
बाज़ न आए, मेरा इश्क आजमाने से,
मुझ नादां को मिले है लोग, सयाने से.

वक्त, मौसम, हालात से बदलते लोग,
लोग जुदा हो जाते है मुझसे बहाने से.

तुम पे यकीन था, लो, वो भी तो टूटा,
तुम भी तो नही माने जी मेरे मनाने से.

उफ्फ तुम भी तो जल्दी ही बदल गए,
तुमने सीखे थे पैंतरे गिरगिट ज़माने से.

रहने भी दो, तुमसे ये सब होने से रहा,
साथ निभता है , शिद्दत से, निभाने से.
© मानसी की कलम✍️