...

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मलाल भी नहीं
जो कुछ देखा समझा ये इश्क के बारे में मैंने
सारी जीहते तुझ तक ले जाती है

निंदे जो बेहेक जाती है आखों से मेरे
क्या कुसूर है उनका? डेरा जो रहता है यादों का तेरे

कैद कर रखा चैन को जिंदगी से मेरे
अब तो ज़ंजीर सी सांसे घूटती है गले में

शौक था तेरा जाना समझता हूं मैं
शौक से मुंतजिर रह गया तेरा

अंधेरे में हस्ता हूं खुदपे क्यों ?
तवक्कुफ़ होती तेरे आवाज़ की

अजीब हूं मैं खुदको तबाह कर लिया
और मुझे मलाल भी नही
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