...

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सत्यम शिवम् सुंदरम
श्रृष्टि का आधार है बो,

प्राणियों में जीवन तरंग का संचार है बो,

उन्हीं से है सब कुछ,

उन्हीं में सब समा जाता है,

क्रोधित होने पर जिनके,

ब्रह्मांड में प्रलय प्रकोप आता है।

बो सर्वेश्वर,

बो ही हैं महेश्वर,

देवों के देव महादेव बो,

बो ही हैं अखंड अखिलेश्वर।

ना उनका कोई जन्म,

ना ही कोई अंत है

जीवन काल उनका अनंतों में भी अनंत है।

दिवस की उजियार भी बो,

रात्रि का घोर अन्धकार भी बो,

यज्ञ से उठती पावन ज्वाला भी बो,

तो चिता की लटार भी बो।

कण कण में बो समाये हैं,

ऊर्जा के सभी प्रकार भी तो उन्हीं से आए हैं।

उनसे मुंह मोड़कर...

तुम खुद को भी मुंह कैसे दिखलाओगे??

उनसे यूं दूर होकर...

कितनी चीजों को ठुकराओगे??

जानते नही क्या...

तुम्हारे हृदय में दबा विचार भी हैं बो,

तुम्हे काया ये देने वाले भगवान भी हैं बो,

जिस सुंदरता पर यूं उछलते हो...

उसका उत्थान भी हैं बो।

सामने उनके तुम मात्र एक कण हो धूल का,

पाप के मार्ग से हट जाओ अभी भी...

क्षमा प्रदान कर देंगे बो, तुम्हारी हर भूल का।

नहीं कहते बो उनकी पूजा करो तुम बस...

नहीं बोलते बो केवल भक्ति में लो खुद को कस,

अगर तुम केवल पाप के मार्ग से भी हट जाओगे,

तुम तब भी उनके प्यारे हो जाओगे।

सलाह दूंगा फिर भी तुमको...

एक बार ॐ नमः शिवाय जपकर तो देखो...

फिर देखना इस मंत्र का जलवा,

जिंदगी जिएंगे और भी, जिंदगी जीयोगे तुम भी...

पर लगेगी तुमको ही बो हलवा।।।
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