तमन्ना
आओगे न फिर अंधेरी रातो ,
में दिया बनकर।
बुझी बुझी सी हु मैं
खिलखिलाओगे ना ,
मुझे रोशनी बनाकर।
शाम के आहट की
तमन्ना हो तुम
बसेरा बस...
में दिया बनकर।
बुझी बुझी सी हु मैं
खिलखिलाओगे ना ,
मुझे रोशनी बनाकर।
शाम के आहट की
तमन्ना हो तुम
बसेरा बस...