...

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माँ...❤
कर दें वर्णन जो माँ तेरा , शब्दों में वो बात नहीं है लिख दे तुझे हू - ब - हू , माँ क़लम की ये औक़ात नहीं है...

जैसे बिन बोले तूने , मेरी भूख - प्यास सब जानी थी शोर मेरे रोने से लेकर , मेरी ख़ामोशी तक पहचानी थी समझ यूँ ही अबोध मुझे तू , कुछ कहने के हालात नहीं हैं
लिख दे तुझे हू - ब - हू , माँ क़लम की ये औक़ात नहीं है...

ना क़ाबिल हूँ ना चाहती हूँ , कि एहसान तेरे चुका दूँ... मैं करके बात कोई भी लेन देन की , ममता तेरी झुका दूँ मैं माँ तेरे दुलार के आगे ,
कुछ भी तो क़ायनात नहीं है
लिख दे तुझे हू - ब - हू , माँ क़लम की ये औक़ात नहीं है...

माँ बच्चों सी मैं आज भी , सोते सोते डर...