yaad
जितना दूर जाते हो,
उतना पास बुलाती है,
जब भी याद तुम्हारी आती है।
वो सूरज के ढलने पर, या चाँद के चलने पर,
जब कभी तन्हा मैं रहूँ,
ख्याल तुम्हारा साथ...
उतना पास बुलाती है,
जब भी याद तुम्हारी आती है।
वो सूरज के ढलने पर, या चाँद के चलने पर,
जब कभी तन्हा मैं रहूँ,
ख्याल तुम्हारा साथ...